वर्णनात्मक अनुसंधान (Descriptive Research)

शिक्षा मनोविज्ञान तथा समाजशास्त्र सम्बन्धी अनुसंधान के क्षेत्र में वर्णनात्मक अनुसंधान का सर्वाधिक महत्व है। सरल शब्दों में वर्णनात्मक अनुसन्धान से अभिप्राय एक ऐसे अनुसंधान से है जिसके अन्तर्गत परिस्थितियों या हालातों को रिकार्ड किया जाता है, तत्पश्चात् उनका विश्लेषण किया जाता है तथा अन्त में उनकी व्याख्या की जाती है। इस प्रकार के अनुसंधान में मुख्य रूप से न घटने-बढ़ने वाले या अपरिचालित चरों (Non-manipulated variables) के मध्य पाये जाने वाले सम्बन्धों का विश्लेषण किया जाता है। इस प्रकार के अनुसंधान को सहसम्बन्धात्मक अनुसंधान (Correlation research) के नाम से भी जाना जाता है। वर्णनात्मक अनुसंधान के अन्तर्गत मुख्य रूप से ‘क्या है’ के सम्बन्ध में वर्णन किया जाता है। वर्णनात्मक अनुसंधान की प्रकृति को समझने से पूर्व इससे सम्बन्धित कुछ परिभाषाओं पर ध्यान देना अत्यन्त आवश्यक है।

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वर्णनात्मक अनुसंधान की परिभाषाएँ (Definitions of Descriptive Research)

वर्णनात्मक अनुसंधान के अर्थ के सम्बन्ध में मुख्य विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ में निम्नलिखित प्रकार से हैं-

मोले (Mouley) के अनुसार- “वर्णनात्मक या सर्वेक्षण सम्बन्धी अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र के अन्तर्गत सबसे अधिक व्यवहार में आता है। इसको ‘सर्वे’, ‘नार्मेटिक सर्वे’, स्टेटस तथा विवरणात्मक अनुसंधान आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है। यह एक विस्तृत प्रकार का वर्गीकरण है जिसके अन्तर्गत अनेक प्रकार की विशिष्ट विधियों एवं प्रक्रियाएँ आती हैं जो कि उद्देश्य की दृष्टि से लगभग समान होती हैं तथा यह उद्देश्य होता है-अध्ययन से सम्बन्धित विषय के स्तर के सम्बन्ध में निर्धारण करना।”

“No category of educational research is more widely used than the type known variously as the survey, the normative survey, status and descriptive research. This is a broad classification comprising a variety of specific techniques and procedures, all similar stand point of purpose that is, to establish the status of the phenomenon under investigation.”-Mouley

जॉन डब्ल्यू बेस्ट (J.W. Best) के अनुसार – “वर्णनात्मक अनुसंधान ‘क्या है’ के सम्बन्ध में व्याख्या एवं विश्लेषण करता है। परिस्थितियाँ या सम्बन्ध जो वर्तमान में हैं; अभ्यास जो चालू है; विश्वास, दृष्टिकोण या अभिवृत्तियाँ जो पाई जा रही हैं; प्रक्रियाएँ जो चल रही हैं; अनुभव जो दिये जा रहे हैं अथवा प्रवृत्तियाँ जो विकसित हो रही हैं, उन्हीं से इसका सम्बन्ध है।”

“Descriptive research describe and interprets. ‘What is’. It is concerned with condition that exist; practices that prevails; beliefs, points of view or attitudes that are held; processes that are going on; effects that are being felt; or trends that are developing.” – J.W. Best

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि वर्णनात्मक अनुसंधान के अन्तर्गत वर्तमान परिस्थितियों या हालातों को रिकार्ड किया जाता है, विश्लेषण किया जाता है तथा व्याख्या की जाती है। इस प्रकार के अनुसंधान के अन्तर्गत मूल रूप से ‘क्या है’ के सम्बन्ध में वर्णन किया जाता है।

वर्णनात्मक अनुसंधानों का सर्वाधिक उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है। इस प्रकार के अनुसंधानों को कई अन्य नामों जैसे-सर्वे, स्टेटस, वर्णनात्मक सर्वे, नार्मेटिव सर्वे तथा ट्रेण्ड-सर्वे आदि नामों से भी जाना जाता है। यह एक प्रकार का व्यापक वर्गीकरण है जिसमें अनेक प्रकार की विशिष्ट विधियाँ एवं प्रक्रियाएँ सम्मिलित होती हैं जोकि उद्देश्य की दृष्टि से लगभग समान होती हैं तथा जिनका मुख्य उद्देश्य अध्ययन से सम्बन्धित विषय के स्तर के सम्बन्ध में निर्धारण करना होता है।

वर्णनात्मक अनुसंधान तथा अन्य प्रकार के अनुसंधानों में अंतर (Difference between Descriptive Research and other Types of Research)

वर्णनात्मक अनुसंधान तथा अन्य प्रकार के अनुसंधानों में पाये जाने वाले अंतरों का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है-

वर्णनात्मक अनुसंधान तथा कार्यपरक अनुसंधान में अंतर (Difference between Descriptive Research and Action Research)

कार्यपरक अनुसंधान से सम्बन्धित समस्या का सम्बन्ध मुख्य रूप से एक छोटे से समुदाय से ही होता है, इसके अतिरिक्त इस प्रकार के अनुसंधान की कोई विशेष योजना नहीं होती है। कार्य-परक अनुसंधान में उपयोगिता तथा व्यावहारिकता को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है, लेकिन दूसरी ओर वर्णनात्मक अनुसंधान में ऐसा नहीं होता है।

वर्णनात्मक तथा ऐतिहासिक अनुसंधान में अंतर (Difference between Descriptive and Historical Research)

वर्णनात्मक अनुसंधान का सम्बन्ध मुख्य रूप से वर्तमान की घटनाओं या हालातों से होता है तथा इस अनुसंधान के अन्तर्गत ‘क्या है’ के सम्बन्ध में व्याख्या की जाती है। इसके विपरीत ऐतिहासिक अनुसंधान का सम्बन्ध मुख्य रूप से बीती हुई या अतीत की घटनाओं या हालातों से होता है तथा इस प्रकार के अनुसंधान में ‘क्या था’ के सम्बन्ध में व्याख्या की जाती है।

वर्णनात्मक तथा प्रयोगात्मक अनुसंधान में अंतर (Difference between Descriptive and Experimental Research)

इन दोनों प्रकार के अनुसंधानों में मुख्य रूप से उद्देश्यों की दृष्टि से अन्तर पाया जाता है। प्रयोगा अनुसंधान के अन्तर्गत नियंत्रित परिस्थितियों के अन्तर्गत कार्य-कारण (cause and effect) या चरों के बीच सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है, जबकि दूसरी ओर वर्णनात्मक अनुसंधान के अन्तर्गत अध्ययन किये जाने वाले विषय की स्थिति स्पष्ट होती है।

वर्णनात्मक अनुसंधान तथा व्यक्ति अध्ययन में अंतर (Difference between Descriptive Research and Case Study)

इन दोनों प्रकार के अनुसंधानों में क्षेत्र तथा प्रतिदर्श के आधार पर अंतर पाया जाता है। वर्णनात्मक अनुसंधान जहाँ दीर्घ प्रतिनिध्यात्मक प्रतिदर्श (Large cross-sample) पर आधारित होता है वहीं व्यक्ति-अध्ययन एक छोटे प्रतिदर्श पर आधारित होता है अर्थात् व्यक्ति-अध्ययन के अन्तर्गत छोटे प्रतिदर्श को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

वर्णनात्मक अनुसंधान (Descriptive Research)
वर्णनात्मक अनुसंधान (Descriptive Research)

वर्णनात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ (Characteristics of Descriptive Research)

वर्णनात्मक अनुसंधान से सम्बन्धित मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार से हैं-

  1. इस प्रकार के अध्ययनों का कोई विशिष्ट उद्देश्य होता है।
  2. इस प्रकार का अनुसंधान गुणात्मक तथा संख्यात्मक दोनों ही प्रकार का होता है।
  3. वर्णनात्मक अनुसंधान के अन्तर्गत किसी वैज्ञानिक नियम का निर्धारण नहीं किया जाता हैं, बल्कि समस्या के समाधान के लिये उपयोगी सूचनाएँ प्रदान की जाती हैं।
  4. इस अनुसंधान का मुख्यतः सम्बन्ध किसी व्यक्ति विशेष से नहीं होता बल्कि समस्त जनसंख्या अथवा उससे सम्बन्धित प्रतिदर्श (Sample) से होता है।
  5. इस अनुसंधान के द्वारा वर्तमान से सम्बन्धित घटनाओं को रिकार्ड किया जाता है, विश्लेषण किया जाता है तथा व्याख्या की जाती है। यह अनुसंधान मुख्य रूप से ‘क्या है’ के सम्बन्ध में व्याख्या करता है।
  6. वर्णनात्मक अनुसंधान के द्वारा एक ही समय में बहुत सारे व्यक्तियों के सम्बन्ध में आँकड़े (Data) प्राप्त किये जा सकते हैं।
  7. इस प्रकार अनुसंधान अध्ययन हेतु एक विशिष्ट तथा उद्देश्यपूर्ण नियोजन अत्यन्त आवश्यक है।
  8. इस प्रकार का अनुसंधान अत्यन्त सरल तथा अत्यन्त जटिल दोनों तरह का हो सकता है।
  9. इस अनुसंधान से सम्बन्धित वर्णन शाब्दिक (Verbal) प्रकार का हो सकता है तो इसे गणितीय सूत्रों (Mathematical Formulas) के द्वारा भी व्यक्त या दर्शाया जा सकता है।
  10. वर्णनात्मक अध्ययनों के अन्तर्गत घटनाओं की जाँच उनकी प्राकृतिक स्थितियों में की जाती है तथा उनके उद्देश्य तुरन्त व दूरगामी, दोनों प्रकार के होते हैं।
  11. वर्णनात्मक अनुसंधान अन्य प्रकार के अनुसंधानों से उद्देश्य व विस्तार की दृष्टि से भिन्न होते हैं।
  12. इस प्रकार के अनुसंधानों के आँकड़ों की व्याख्या एवं उनका विश्लेषण करने में विशेष सावधानी बरती जाती है।
  13. इस प्रकार के अनुसंधान के अन्तर्गत स्पष्ट रूप से परिभाषित समस्या पर ही अध्ययन किया जाता है।

वर्णनात्मक अनुसंधान के उद्देश्य (Objectives of Descriptive Research)

वर्णनात्मक अनुसंधान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित प्रकार से हैं-

  1. इस अनुसंधान का एक उद्देश्य भविष्य में किये जाने वाले या भावी अनुसंधान के प्राथमिक अध्ययन में सहायता प्रदान करना होता है ताकि अनुसंधान को अधिक नियंत्रित तथा वस्तुनिष्ठ बनाया जा सके।
  2. मानव व्यवहार से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं (aspects) के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करना।
  3. वर्णनात्मक अनुसंधान का एक मुख्य उद्देश्य अध्ययन से सम्बन्धित विषय के स्तर का निर्धारण करना होता है।
  4. मनोवैज्ञानिक विशेषताओं के सम्बन्ध में परिचय प्राप्त करना तथा शैक्षिक नियोजन (Educational Planning) में सहायता प्रदान करना भी इस अनुसंधान का एक उद्देश्य होता है।
  5. वर्तमान घटना या स्थिति के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण करना तथा भावी नियोजन (Future planning) के सम्बन्ध में सहायता प्रदान करना।

वर्णनात्मक अनुसंधान के प्रकार (Types of Descriptive Research)

वर्णनात्मक अनुसंधान के सम्बन्ध में अलग-अलग विद्वानों ने अलग-अलग प्रकार से वर्गीकरण करने का प्रयास किया है। वर्णनात्मक अनुसंधान के बारे में वान-डेलेन द्वारा किया गया वर्गीकरण अधिक उपयुक्त है। उन्होंने वर्णनात्मक अनुसंधान निम्न प्रकार से किया है-

  1. सर्वेक्षण अध्ययन (Survey Studies)
  2. अन्तर सम्बन्धों का अध्ययन (Interrelationship Studies)
  3. विकासात्मक अध्ययन (Developmental Studies)

वर्णनात्मक अनुसंधान के विभिन्न पद/चरण (Different Steps of Descriptive Research)

डेविस फोक्स के अनुसार वर्णनात्मक अनुसंधान के निम्नलिखित पद हैं-

  1. अनुसंधान समस्या का ज्ञान।
  2. यह निश्चित करना कि समन्वय सर्वेक्षण के उपयुक्त है या नहीं।
  3. उचित प्रकार की सर्वेक्षण विधि का चुनाव।
  4. सर्वेक्षण के उद्देश्यों को बताना।
  5. इस बात का निश्चय करना कि-
    1. आँकड़े प्राप्त करने के उपकरण उपलब्ध हैं।
    2. आँकड़े प्राप्त करने के उपकरण समय पर तैयार हो सकते हैं।
    3. ये उपकरण न तो हैं और न ही तैयार किये जा सकते हैं।
  6. प्रस्ताविक सर्वेक्षण की सफलता का पूर्वानुमान।
  7. प्रतिनिधात्मक न्यादर्श के प्राप्त होने का निश्चय।
  8. अनुसंधान के लिये न्यादर्श का चुनाव।
  9. सर्वेक्षण के उस पक्ष का निश्चय जिसके लिये प्रतिनिधिकारी न्यादर्श प्राप्त किया जा सकता है।
  10. न्यादर्श उपकरण आदि को ध्यान में रखते हुए सर्वेक्षण की सफलता का अन्तिम पूर्वानुमान।
  11. आँकड़े इकट्ठा करने का अभिकरण।
  12. आँकड़ों का संकलन।
  13. आँकड़ों का विश्लेषण ।
  14. प्रतिवेदन तैयार करना।
  15. तुलना एवं मूल्यांकन ।
  16. निष्कर्ष।

वर्णनात्मक अनुसंधान के विविध स्तर (Various Stages of Descriptive Research)

वर्णनात्मक अभिकल्प को तैयार करने से पहले, इसके विविध स्तरों को ध्यान में रखना आवश्यक है। ये स्तर निम्नलिखित हैं-

1. अध्ययन के उद्देश्य का निरूपण (Formulation of Objectives of Study)- किसी भी अनुसंधान कार्य के लिए सर्वप्रथम अध्ययन के उद्देश्य को परिभाषित करना आवश्यक है। अनुसंधानकर्ता के सामने, जब तक उद्देश्य स्पष्ट नहीं हैं तब तक अनुकूल सामग्री का संकलन करना बड़ा ही कठिन है।

2. सामग्री संकलन पद्धति का चुनाव (Selection of the Methods of Data Collection)- उद्देश्य के स्पष्टकीकरण के बाद अनुसंधानकर्ता इस बात से अवगत हो जाता है कि उसे किस प्रकार की सामग्री की आवश्यकता है। अतः सामग्री के संकलन के लिये उस पद्धति का चुनाव आवश्यक है, जिसके प्रयोग द्वारा विश्वसनीय सामग्री सुगमता से प्राप्त हो सके। अनुसंधानकर्ता साक्षात्कार, प्रश्नावली, अवलोकन, वैयक्तिक अध्ययन इत्यादि प्रणालियों में से उस प्रणाली का चुनाव करना है जो सामग्री के संकलन के लिये अधिक उपयुक्त होती हैं। इनमें से प्रत्येक प्रणाली की उपयोगिता, एक विशेष प्रकार की सामग्री को एकत्रित करने की दृष्टि से अलग-अलग होती है।

3. निदर्शन का चयन (Selection of Sample)- किसी समुदाय के विश्वास मान्यताएँ व अनुपूर्ति इत्यादि के सम्बन्ध में विश्वसनीय विवरण को प्राप्त करने के लिये समुदाय के प्रत्येक सदस्य का अध्ययन किया जाना व्यावहारिक दृष्टि से असम्भव है। इसलिये उस समुदाय के सदस्यों में से, उस नमूने का चुनाव किया जाता है, जो प्रत्येक दृष्टि से उस सम्पूर्ण समुदाय का “प्रतिनिधित्व” करता हो। इस प्रतिनिधि इकाई के अध्ययन के परिणाम भी सम्पूर्ण के अध्ययन के परिणामों के समान ही विश्वसनीय होते हैं। अतः अध्ययन को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान करने के लिये निदर्शन का निर्धारण आवश्यक है।

4. सामग्री का परीक्षण (Testing of Data)- निदर्शन के चुनाव के बाद संकलित सामग्री की विश्वनीयता की परीक्षा की जाती हैं यदि सामग्री वास्तविकता पर आधारित नहीं है, तो इसका प्रभाव अध्ययन की समस्त क्रियाओं पर पड़ता है।

5. परिणामों का विश्लेषण (Analysis of Results) – अध्ययन द्वारा परिणामों की प्राप्ति के पश्चात् उन परिणामों का विश्लेषण वांछनीय है। विश्लेषण के अभाव में, प्राप्त परिणामों की न कोई सामाजिक उपयोगिता होती है और न उनका सामाजिक जीवन में प्रयोग करना ही सम्भव है।

6. निष्कषों का प्रतिवेदन (Report of Findings)- परिणामों की प्राप्ति के बाद अनुसंधानकर्ता के लिये उनका प्रतिवेदन प्रस्तुत करना आवश्यक है। इसके लिये दो बातें उल्लेखनीय हैं। सर्वप्रथम परिणामों का प्रतिवेदन, इस प्रकार का होना चाहिये जिसमें अधिकतर बातें स्पष्ट हो जाएँ और जिसमें अतार्किक तथा आधार रहित विवेचन का समावेश न हो।

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