अधिगम का अर्थ, परिभाषाएँ, विशेषताएँ एवं प्रकार (Meaning, Definitions, Characteristics and Types of Learning)

मनुष्य एक तर्कयुक्त जीव है। इसके पास तर्क करने की शक्ति है जो इसकी जल्दी सीखने में सहायता करती है। किसी व्यक्ति के व्यवहार में अधिगम का विशेष महत्त्व है। समूचे मानवीय व्यवहार को उसकी अधिगम क्रिया द्वारा खोजा जा सकता है। अधिगम ही जीवन में सफलता का आधार है। आधुनिक सभ्यता के कारनामे या चमत्कार इसी की लीला हैं। इसका शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है। अधिगम के द्वारा ही मनुष्य अपनी प्रवृत्तियों में इतने परिवर्तन ला सकता है कि उसे पहचानना ही कठिन हो जाता है। हम बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं और अधिगम ही वास्तविक विद्या है। जब तक हम अधिगम के स्वरूप और विधियों से परिचित नहीं होते तब तक हम इस योग्य नहीं हो सकते कि हम उचित शिक्षा दे सकें। इसलिए इस आर्टिकल में हम अधिगम का अर्थ, परिभाषाएँ, विशेषताएँ एवं प्रकारों का अध्ययन करेंगे।

अधिगम का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Learning)

अधिगम का अर्थ (Meaning of Learning) : अधिगम को परिवर्तन, सुधार, विकास, उन्नति तथा समायोजन के तुल्य जाना जाता है (Learning is said to be equivalent to change, modification, growth, development, improvement and adjustment.) यह केवल स्कूल की शिक्षा, साईकिल चलाने, पढ़ने या टाईप करने तक सीमित नहीं बल्कि यह एक विशाल शब्द है जिसकी व्यक्ति पर गहरी छाप या प्रभाव पड़ता है।

अधिगम की कुछ परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

1. डेनियल बेल का विचार (Daniel Bell’s view) – डेनियल बेल मनोविज्ञान के एनसाइकलोपीडिया (Encyclopaedia of Psychology) में लिखा  है ‘अधिगम वैयक्तिक शक्तियों तथा वातावरण के संघर्ष के कारण सुधार का नाम है।’
(“Learning is modification due to energies of organism and environment impinging on the organism itself.”)- Daniel Bell

2. गेट्स का विचार (View of Gates) – ‘अधिगम अनुभव द्वारा व्यवहार में सुधार है।’
(“Learning is modification of behaviour through experience.”)

3. क्रो और क्रो का विचार (View of Crow and Crow) – ‘अधिगम के अन्तर्गत आदतें, ज्ञान तथा व्यवहार का ग्रहण करना आ जाता है।’
(“Learning involves the acquisition of habits, knowledge and attitudes.”)

4. स्किनर का विचार (View of Skinner) – स्किनर अधिगम में अर्जित तथा धारण करने की शक्ति को शामिल करता है।
(Learning includes both acquisition and retention.)

5. किंग तथा गैरी का विचार (View of Kingsley and Garry) – अधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहार का अभ्यास या प्रशिक्षण द्वारा जन्म होता है या उसमें परिवर्तन होता है।’
(“Learning is a process by which behaviour is originated or changed through practice or training.”)

6. वुडवर्थ का विचार (View of Woodworth) – ‘हमारे वर्तमान अनुभवों में वृद्धि अधिगम का प्रकार है।’
(“Any addition to our existing experience is a kind of learning.”)

7. गिलफोर्ड का विचार (Guilford’s view) ‘व्यवहार के कारण व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।’
(“Learning is any change in behaviour resulting from behaviour.”)

8. कॉलविन का विचार (Colvin’s view ) – ‘पहले से निर्मित व्यवहार में अनुभवों द्वारा हुए सुधार को अधिगम कहते हैं।’
(“Learning is the modification of our readymade behaviour due to experiences.”)

9. पॉवलाव का विचार (Pavlov’s view) – ‘अनुकूलित क्रिया के परिणामस्वरूप आदत का निर्माण ही अधिगम है।’
(“Learning is habit formation resulting from conditioning.”)

10. पील का विचार (Peel’s view ) – ‘अधिगम व्यक्ति में परिवर्तन है जो उसके वातावरण के परिवर्तनों के अनुसार होता है।’
(“Learning is change in the individual following upon change in his environment.”)

11. प्रेस का विचार (Pressy’s view ) – ‘अधिगम अनुभव है, जिसके द्वारा कार्य में परिवर्तन या समायोजन होता है तथा व्यवहार से प्रयोग की गई नई विधि प्राप्त होती है।’
(“Learning represents experience that leads to change or adjustment in performance and to the acquisition of new ways of behaviour.”)

12. हिलगार्ड एवं एटकिन्सन का विचार (View of Hilgard and Atkinson ) – ‘अधिगम पुराने अनुभवों के परिणामस्वरूप व्यवहार में होने वाले अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन हैं।’
(“Learning is relatively permanently change in behaviour that occurs as a result of prior experiences.”)

संक्षिप्त तौर पर हम कह सकते हैं कि अधिगम जीवन की एक मूल प्रक्रिया (Process) है जिसमें बहुत-सा समय व्यतीत होता है और जो हमारे व्यवहार के सभी रूपों, कुशलताओं, ज्ञान के ढंगों और चालक शक्ति को प्रभावित करती है।

इसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं—

(1) नए अनुभव ग्रहण करना (Acquisition of new experiences)

(2) नए अनुभव धारण करना (Retention of new experiences in the form of impression)

(3) क्रमानुसार अनुभवों का विकास (Development of experiences step by step)

(4) अनुभवों का सुधार तथा नए अनुभवों की रचना (Modification of experiences and creation of new experiences)

(5) नए तथा पुराने अनुभवों का संगठन, संयोग तथा एकीकरण (Organisation, synthesis and integration of old and new experiences)

अधिगम के स्वरूप के बारे में दृष्टिकोण (Views regarding Nature of Learning)

1. व्यवहारवादी दृष्टिकोण (Behaviouristic view ) – व्यवहारवादियों का विचार है कि अधिगम अनुभव के परिणाम के तौर पर व्यवहार में परिवर्तन का नाम है। (Learning is change in behaviour as a result of experience.) मनुष्य तथा दूसरे प्राणी वातावरण में प्रतिक्रिया करते हैं। बच्चा जन्म से ही अपने वातावरण से कुछ सीखने का प्रयत्न करता है।

2. गेस्टाल्ट दृष्टिकोण (Gestalt view) – इस दृष्टिकोण के अनुसार सीखने का आधार गेस्टाल्ट ढांचे (Configuration or wholeness of the situation) पर निर्भर है। अधिगम सम्पूर्ण स्थिति की सम्पूर्ण प्रतिक्रिया है।

3. हॉरमिक दृष्टिकोण (Hormic view ) – यह दृष्टिकोण मैक्डूगल (McDougall) की देन है। यह अधिगम के लक्ष्य केन्द्रित स्वरूप पर ज़ोर देता है। (Learning is goal-directed activity.) अधिगम लक्ष्य को सामने रखकर किया जाता है।

4. प्रयत्न तथा भूल दृष्टिकोण (Trial and error view) – यह दृष्टिकोण थार्नडाइक (Thorndike) की देन है उसने बिल्लियों, कुत्तों तथा मछलियों पर कई प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि वे प्रयत्न तथा भूल (Trial and error) से बहुत कुछ सीखते हैं।

5. अधिगम का फील्ड दृष्टिकोण (Field view of learning) – कुर्ट लेविन (Kurt Lewin) ने इस दृष्टिकोण को प्रतिपादित किया है। उसने लिखा है कि अधिगम परिस्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक संगठन है और अधिगम में प्रेरणा का महत्त्वपूर्ण हाथ है। (Learning is perceptual reorganisation of the situation and motivation plays an important role in learning.)

अधिगम का अर्थ, परिभाषाएँ, विशेषताएँ एवं प्रकार (Meaning, Definitions, Characteristics and Types of Learning)
अधिगम का अर्थ, परिभाषाएँ, विशेषताएँ एवं प्रकार (Meaning, Definitions, Characteristics and Types of Learning)

अधिगम की विशेषताएँ (Characteristics of Learning)

अधिगम का अर्थ (अवधारणा) अधिगम की विशेषताओं से अधिक स्पष्ट हो जाएगा-

1. व्यवहार में प्रगतिशील सुधार (Progressive change in behaviour) – जब मनुष्य परिस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया करता है तो सीखने के द्वारा व्यवहार में प्रगतिशील सुधार होता है। यही कारण है कि अधिगम की है सुधार कहा गया है।

2. अधिगम समायोजन द्वारा प्रेरित होता है (Learning is motivated by adjustment) – मनुष्य को नए वातावरण के अनुसार अपने आपको समायोजित करना होता है।

3. अधिगम का स्वरूप सर्वव्यापी है (Learning is universal in nature ) – सभी जानवर सीखते हैं। मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है, इसलिए वह अधिक सीखता है।

4. अधिगम कभी न समाप्त होने वाली वृद्धि है (Learning is never ending growth) – हमारी सदा यह इच्छा होती है कि हम अधिक-से-अधिक सीखें। एक प्राप्ति अगले उत्तप्रेरक (Incentive), कोशिश तथा प्रयत्न की ओर प्रेरित करती है।

5. अधिगम निरन्तर है (Learning is continuous) – अधिगम निरन्तर है। यह बचपन तक ही सीमित नहीं बल्कि आजीवन चलता है। मृत्यु ही इसका अन्त है।

6. अधिगम लक्ष्य केन्द्रित है (Learning is goal-directed or purposive) – जब लक्ष्य स्पष्ट और साफ हो तो अधिगम उद्देश्य केन्द्रित बन जाता है और विद्यार्थी को लाभ पहुंचता है ।

7. अधिगम सक्रिय तथा रचनात्मक है (Learning is active and creative ) – अधिगम सक्रिय तथा रचनात्मक है अर्थात् अधिगम शिष्य की सरगर्मियों पर निर्भर है। कहा जाता है कि जहां स्वः क्रिया नहीं वहां अधिगम का कार्य नहीं होता। इसलिए अधिगम क्रिया तथा अनुभव का परिणाम है। यह सारे ज्ञान का रचनात्मक अनुभव है।

8. अधिगम वैयक्तिक तथा सामाजिक आवश्यकताओं द्वारा उत्तेजित होता है (Learning is aroused by individual and social needs) – अधिगम वैयक्तिक तथा सामाजिक आवश्यकताओं द्वारा उत्तेजित होता है अर्थात् अधिगम मनुष्य की सामाजिक आवश्यकताओं, रुचियों, चाहों तथा आदर्शों पर निर्भर होता है। कई मनुष्यों में सीखने की क्रिया तीव्र होती है और कई मनुष्यों में मन्द। यह बात ध्यान देने योग्य है कि सामाजिक वातावरण का अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। वातावरण के अभाव की अवस्था में अधिगम असम्भव है।

9. अधिगम पूर्ण व्यक्ति का पूर्ण परिस्थिति के प्रति उत्तर है (Learning is response of the whole individual to the total situation ) – अर्थात् व्यक्ति अधिगम की पूर्ण परिस्थिति के प्रति परस्पर क्रिया करता है।

10. यह उद्दीपन तथा उत्तर के मध्य सम्बन्ध कायम करता है (It establishes relationship between stimulus and response)

11. अधिगम स्थानांतरण है (Learning is transferable) – इसका भाव यह है कि अधिगम स्थान बदल सकता है परन्तु बदलने की मात्रा भिन्न-भिन्न हो सकती है। स्थान में परिवर्तन तकनीकों, आदर्शों, प्रक्रियाओं तथा विषयों की समानता के कारण होता है। स्थान परिवर्तन अधिगम में मित्व्ययता का कारण होता है और यह शिक्षा के एक क्षेत्र से दूसरे तथा श्रेणी के कमरों की परिस्थितियों में होता है।

12. अधिगम ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्ष में सम्भव है (Learning is possible on cognitive, affective and conative side) – ज्ञान प्राप्त करना ज्ञानात्मक, संवेगों की शुद्धि भावात्मक तथा कुशलताओं और आदतों का विकास क्रियात्मक पक्ष है।

13. अधिगम प्रक्रिया है न कि परिमाण (Learning is a process and not a product) – जन साधारण के लिए अधिगम परिमाण है परन्तु मनोवैज्ञानिकों के लिए यह एक प्रक्रिया है जिसके निम्न पांच चरण होते हैं

(i) प्रेरणा अथवा आवश्यकता (Motive or need) – सबसे पहले प्रेरणा अथवा आवश्यकता पैदा होती है। प्रेरणा एक शक्ति है जो किसी मनुष्य को व्यवहार करने या कोई विशेष कार्य करने के लिए विवश करती है।

(ii) उद्देश्य (Goal) – यदि प्रेरक अथवा आवश्यकता उपस्थित हो तो अध्यापक या कोई और मनुष्य उद्देश्य दे सकता है।

(iii) समायोजन (Adjustment) – बच्चे में अपने आपको समायोजित करने की रुचि पैदा होती है।

(iv) परिवर्तन (Changes) – बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन आ जाते हैं।

(v) निश्चित या स्थायी होना (Fixation or stabilization) – इसके बाद उसके व्यवहार में वे परिवर्तन निश्चित तथा स्थायी हो जाते हैं।

अधिगम के प्रकार (Types of Learning)

1. गामक अधिगम (Motor learning) – जब बच्चा छोटा होता है और उसकी मानसिक योग्यताएं अविकसित होती हैं तो वह गामक क्रियाएं जैसे कि नेत्र-हाथ समन्वय (Eye-hand co-ordination), चलना, दौड़ना, भाषा आदि सीखता है। यह एक प्रकार का अनुकरण द्वारा सीखना है।

2. प्रत्यक्षात्मक सीखना (Perceptual learning) – ज्यों-ज्यों बच्चे का मन विकसित होता है वह अपना प्रत्यक्ष ज्ञान सीखता है,भिन्न-भिन्न ज्ञान- इन्द्रियों द्वारा संवेदना प्राप्त करता है और उन्हें सार्थक करता है इसका भाव यह है कि उसके गिर्द पड़े पदार्थ उसके लिए अर्थपूर्ण होते हैं और वह उन्हें प्रत्यक्ष देखता है। वह भिन्न-भिन्न पदार्थों के नाम उनमें अन्तर करने के लिए सीखता है बच्चा अब प्रत्यक्ष ज्ञान द्वारा अधिगम आरम्भ करता है तो वह लकीर का फकीर नहीं बनता बच्चा अपने दिमाग का प्रयोग करता है और सूझ द्वारा अपनी समस्यायें हल करता है ।

3. संकल्पनात्मक अधिगम (Conceptual learning ) – इस अवस्था में मानसिक योग्यताएं काफी विकसित हो जाती हैं और बच्चा अपने विचार तथा धारणायें बना लेता है। अधिगम संकल्पनात्मक (Ideational) बन जाता है और सोचने तथा निर्णय करने की शक्ति विकसित होती है। इस समय व्यक्ति अपने ढंग से समस्यायें हल करने के योग्य हो जाता है।

4. साहचर्य अधिगम (Associative learning) – साहचर्य अधिगम प्रत्यात्मक अधिगम में सहायता करता है इस समय धारणायें पूर्व धारणाओं से जुड़ जाती हैं और ज्ञान एकत्रित हो जाता है।

5. प्रशंसात्मक अधिगम (Appreciational learning) – प्रशंसात्मक अधिगम प्रभावशाली पक्ष की ओर होता है और संकल्पनात्मक अधिगम ज्ञानात्मक पक्ष की ओर। बच्चा आरम्भ से अपने सौन्दर्य प्रेम का प्रयोग करता है।

6. अभिवृत्यात्मक अधिगम (Attitudinal learning) – बच्चा माता-पिता के प्रति प्रेम का व्यवहार, अपने परिवार के स्वामित्व प्रति व्यवहार तथा अध्यापक प्रति आदर का व्यवहार सीख जाता है अथवा ये व्यवहार उसमें विकसित होते हैं।

7. काल्पनिक सीखना (Imaginative learning) – काल्पनिक अधिगम में आकृतियों को अर्जित करना तथा उन वस्तुओं को समझना शामिल है जिनका ज्ञानेन्द्रियों को अनुभव नहीं होता।

8. अनुकरणात्मक अधिगम (Imitative learning) – अधिगम का अनुकरण किया जा सकता है। कला. नृत्य, संगीत आदि का अधिगम अनुकरण द्वारा ही होता है।

9. अकादमिक अधिगम (Academic learning) – इस प्रकार के अधिगम में वह ज्ञान शामिल होता है जिसे छात्र पुस्तकों एवं शिक्षा द्वारा प्राप्त करता है ।

10. सामाजिक अधिगम (Social learning) – जब व्यक्ति विशेष परिस्थितियों में सामाजिक कार्य सीखता है तो उसे सामाजिक अधिगम कहते हैं।

11. समस्या समाधान अधिगम (Problem solving learning) – समस्या समाधान अधिगम के परिणामस्वरूप समस्या का समाधान करने की योग्यता विकसित होती है और सही अनुक्रिया का चयन करने की क्षमता का विकास होता है।

12. संवेगात्मक अधिगम (Emotional learning) – जन्म के समय बच्चा प्रेम, डर, घृणा, प्रसन्नता आदि की अभिव्यक्ति स्पष्ट रूप से नहीं कर पाता परन्तु समय के साथ-साथ वह संवेगों की अभिव्यक्ति करने की योग्यता अर्जित कर लेता है ।

13. बौद्धिक अधिगम (Intellectual learning) – बच्चे के मानसिक विकास के साथ-साथ उसमें तर्क शक्ति बढ़ती है। संवेदन गति से प्राप्त होने वाले ज्ञान के विकास का अर्जन ही बौद्धिक अधिगम है।

14. एकीकृत अधिगम (Integrated learning) – एकीकृत अधिगम में उपरोक्त सभी प्रकार के अधिगम एक साथ होते हैं।

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