किसी विज्ञान (शिक्षा मनोविज्ञान) का स्वरूप, क्षेत्र, समस्यायें तथा सीमायें उस विषय की परिभाषा पर निर्भर करती हैं। जब तक हम किसी विशेष विषय की परिभाषा को स्पष्ट नहीं कर सकते तब तक हम उसके स्वरूप, क्षेत्र, समस्याओं तथा सीमाओं के बारे में विचार नहीं कर सकते। इस आर्टिकल में शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषाएँ एवं क्षेत्र (Meaning, Definitions & Scope of Educational Psychology) का अध्ययन करेंगे।
शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning & Definitions of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है ‘शिक्षा’ (Education) और दूसरा शब्द है ‘मनोविज्ञान’ (Psychology)। मनोविज्ञान (Psychology) व्यवहार तथा अनुभव का ज्ञान है और शिक्षा (Education) व्यवहार की शुद्धि का नाम है। आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चे के व्यक्तित्व का समरूप विकास (Harmonious development) है। अध्यापकों का कार्य ऐसी अवस्थाएं उत्पन्न करना है, जिनके द्वारा व्यक्तित्व का स्वतन्त्र तथा पूर्ण विकास हो सके और यही आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य है परन्तु आधुनिक शिक्षा का यह अर्थ मनोविज्ञान के ज्ञान पर निर्भर है। अतः शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा समस्याओं पर लागू होने वाला मनोविज्ञान है।
शिक्षा मनोविज्ञान की और परिभाषायें अथवा दृष्टिकोण इस प्रकार हैं :
ट्रो के विचार (Trow’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा संस्थानों के मनोवैज्ञानिक तत्त्वों का अध्ययन करता है।’ (“Educational psychology is the study of the psychological aspects of educational situations.”)
कश्यप और पुरी महोदय के अनुसार- “शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक पर्यावरण में की हुई बालक अथवा व्यक्ति की क्रियाओं का अध्ययन है। ”
“Educational Psychology is the study of the activities of the pupil or of the individual in response to educational Environments.” Kashyap and Puri
को और क्रो के विचार (View of Crow and Crow) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से वृद्धावस्था तक व्यक्ति के सीखने की अनुभूतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है।’ (“Educational psychology describes and explains the learning experiences of an individual from birth through old age.”)
कोलसनिक के विचार (Kolesnik’s view)- शिक्षा क्षेत्र में मनोविज्ञान के सिद्धान्तों तथा उसकी उपलब्धियों को प्रयोग में लाना शिक्षा मनोविज्ञान है।’ (“Educational psychology is the application of the findings and the theories of psychology in the field of education.”)
स्किनर के विचार (Skinner’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण और सीखने के साथ सम्बन्धित है। इनके विचारानुसार शिक्षण और सीखना शिक्षा मनोविज्ञान का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। (“Educational psychology is that branch of science which deals with teaching and learning. According to him, teaching and learning are the most important problems, areas or fields of educational psychology.”)
सॉरे एवं टेलफोर्ड का विचार (View of Sawrey and Telford) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज में विशेष रूप से सम्बन्धित है।’ (“The major concern of educational psychology is learning. It is the field of psychology which is primarily concerned with the scientific investigation of the psychological aspects of education.”)
एलिस क्रो का विचार (View of Alice Crow) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान वैज्ञानिक विधि से प्राप्त किए जाने वाले मानव प्रतिक्रियाओं के उन सिद्धान्तों के प्रयोग को प्रस्तुत करता है, जो शिक्षण और अधिगम को प्रभावित करते हैं।’ (“Educational psychology represents the application of scientifically derived principles of human reactions that affect teaching and learning.”)
स्टीफन के विचार (Stephen’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की वृद्धि तथा विकास का विधिवत अध्ययन है। इनके विचारानुसार जो कुछ भी शिक्षा की वृद्धि तथा विकास के विधिवत अध्ययन के साथ सम्बन्धित है, उसे शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में सम्मिलित किया जा सकता है।’ (“Educational psychology is the systematic study of educational growth and development. According to him, whatever is concerned with systematic study of educational growth and development can be included in the scope of educational psychology.”)
जुड के विचार (Judd’s view) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो व्यक्तियों में हुये उन परिवर्तनों का उल्लेख और व्याख्या करता है जो विकास की विभिन्न अवस्थाओं में होते हैं।’ (“Educational psychology may be defined as a science which describes and at the same time explains the changes that take place in the individuals as they pass through the various stages of development or it deals with many conditions.”)
पील के विचार (Peel’s view point) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का विज्ञान है जो अध्यापक को अपने विद्यार्थियों के विकास तथा उनकी योग्यताओं के विस्तार और उनकी सीमाओं को समझने में सहायता प्रदान करता है। यह अध्यापक को अपने विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रियाओं तथा उनके सामाजिक सम्बन्धों को भी समझने में सहायता प्रदान करता है। पील के विचारानुसार शिक्षा मनोविज्ञान व्यापक रूप से सीखने की प्रकृति, मानव व्यक्तित्व के विकास, व्यक्तियों की परस्पर भिन्नता और सामाजिक सम्बन्ध में व्यक्ति के अध्ययन के साथ सम्बन्धित है।’
(“Educational psychology is the science of education that helps teacher to understand the development of his pupils, the range and limits of their capacities, the processes by which they learn and their social relationship………. Educational psychology broadly deals with the nature of learning, the growth of human personality, the differences between individuals and the study of the person in relation to society.”)
नॉल एवं अन्य का विचार (View of Noll and Others) – ‘शिक्षा मनोविज्ञान मुख्य रूप से शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया से परिवर्तित या निर्देशित होने वाले मानव व्यवहार के अध्ययन से सम्बन्धित है।” (“Educational psychology is concerned primarily with the study of human behaviour as it is changed or directed under the social process of education.”)
निष्कर्ष (Conclusion)
उपर्युक्त विचारधाराओं के आधार पर कहा जा सकता है कि शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा स्थितियों के संदर्भ में शिक्षार्थी एवं अधिगम प्रक्रिया से सम्बन्धित है।
(Educational psychology deals with the learner and the learning process in learning situations.”)

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र एवं विषय-वस्तु (Scope and Subject Matter of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र से तात्पर्य अध्ययन की उस सीमा से होता है जिस सीमा तक उस विषय के अन्तर्गत अध्ययन किया जाता है और उसकी विषय सामग्री से तात्पर्य उस सीमा से होता है जिस सीमा तक उसके क्षेत्र में अध्ययन किया जा चुका होता है।
डगलस एवं हॉलैण्ड (Douglas & Holland) के अनुसार — “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री शिक्षा की प्रक्रियाओं में भाग लेने वाले व्यक्ति की प्रकृति, मानसिक जीवन और व्यवहार है।”
क्रो एवं क्रो (Crow & Crow) के अनुसार — “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-वस्तु अधिगम को प्रभावित करने वाली दशाओं से सम्बन्धित होती है । ”
स्किनर (Skinner) के अनुसार — “शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत वे समस्त सूचनायें एसं प्रविधियाँ सम्मिलित की जाती हैं जो समुचित अवबोध तथा अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी दिशा प्रदान करने में सहायक होती हैं।”
गैरिसन तथा अन्य के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री का नियोजन दो दृष्टिकोण से किया जाता है— (1) छात्रों के जीवन को समृद्ध तथा विकसित करना। (2) शिक्षकों को अपने शिक्षण में गुणात्मक उन्नति करने में सहायता देने के लिए ज्ञान प्रदान करना।”
शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में छः मुख्य अवयव शामिल हैं
1. शिक्षार्थी (The learner) – ‘शिक्षार्थी’ शब्द से हमारा अर्थ है वे छात्र जो व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से कक्षा समूह में समाविष्ट होते हैं, वह व्यक्ति जिसके लिए यह कार्यक्रम विद्यमान है या काम कर रहा है। इस क्षेत्र में शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षार्थी के निम्नलिखित पहलुओं का अध्ययन करता है-
(1) वृद्धि एवं विकास अर्थात् उसका शारीरिक, बौद्धिक, संवेगात्मक और सामाजिक विकास ।
(2) बुद्धि, रुझान और व्यक्तित्व ।
(3) परिवार, विद्यालय, समाज, राज्य, जैसे सामाजिक अभिकरणों का व्यक्तित्व पर प्रभाव ।
(4) मानसिक स्वास्थ्य एवं समायोजन।
(5) व्यक्तिगत भिन्नताएं।
2. अधिगम प्रक्रिया (The learning process) – ‘अधिगम प्रक्रिया’ से हमारा अर्थ है छात्रों के सीखते समय जो चलता रहता है।
लिन्डग्रेन (Lindgren) के शब्दों में ‘अधिगम प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा छात्र अपने व्यवहार में परिवर्तन लाते हैं, कार्य-प्रदर्शन में सुधार लाते हैं, अपने विचार को पुनः संगठित करते हैं या व्यवहार करने के नए ढंगों, नए प्रत्ययों एवं जानकारी की खोज करते हैं।’ (“Learning process is the process by which pupils acquire changes in their behaviour, improve performance, reorganize their thinking, or discover new ways of behaving and new concepts and information.”)
इस क्षेत्र में शिक्षा मनोविज्ञान निम्नलिखित पहलुओं का अध्ययन करता है
(1) अधिगम प्रक्रिया की प्रकृति जिसमें अधिगम के सिद्धान्त सम्मिलित हैं।
(2) प्रभावशाली अधिगम के नियम और विधियां।
(3) अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं
(क) अभिप्रेरणा, (ख) आदतें, (ग) ध्यान एवं रुचि, (घ) चिन्तन एवं तर्क, (ङ) समस्या समाधान और सृजनशीलता, (च) स्मृति एवं विस्मृति की प्रक्रिया, (छ) प्रशिक्षण का स्थान परिवर्तन, (ज) कौशलों को सीखना, (झ) प्रत्यय-निर्माण और अभिवृत्तियां । इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में ये सभी विषय शामिल हैं।
3. अधिगम स्थिति (The learning situation) – ‘अधिगम स्थिति’ से हमारा अर्थ है वे कारक जो अधिगम एवं अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। अधिगम स्थिति में शिक्षा मनोविज्ञान निम्नलिखित का अध्ययन करता है
(1) कक्षा प्रबंधन एवं अनुशासन ।
(2) प्रविधियां जिनमें कक्षा में अधिगम को सुविधापूर्ण बनाने वाली अभिप्रेरणात्मक प्रविधियां और सहायक साधन शामिल हैं।
(3) मूल्यांकन प्रविधियां एवं कार्य-विधियां जिनमें शिक्षा सांख्यिकी शामिल है।
(4) विशिष्ट बच्चों को पढ़ाने की विधियां जिनमें प्रतिभाशाली, पिछड़े हुए, अपराधी, समस्यात्मक और विकलांग (शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और सामाजिक रूप से विकलांग) बच्चे शामिल हैं।
(5) निर्देशन एवं परामर्श।
4. अधिगम अनुभव (Learning experiences) – इसमें छात्रों के परिपक्वता स्तर के अनुसार क्रियाएं और विषय-वस्तु प्रदान करना शामिल है।
5. शिक्षण स्थिति (Teaching situation) – शिक्षा मनोविज्ञान की प्रभावशीलता तभी सार्थक होती है। जब शिक्षण अधिगम स्थिति में इसकी विधियां और निष्कर्ष शैक्षिक कार्यविधियों का एक भाग बन जाते हैं।
6. अधिगम अनुभवों का मूल्यांकन (Evaluation of learning experiences) – हाल ही में, मनोविज्ञान के विषय-वस्तु में अधिगम अनुभवों के मूल्यांकन का महत्त्व बढ़ गया है।