शिक्षण नीतियाँ/युक्तियाँ (Teaching Strategies/ Devices)

शिक्षण नीतियाँ/युक्तियाँ
(Teaching Strategies/ Devices)

वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न शिक्षण प्रविधियों/युक्तियों का उपयोग किया जा रहा है। शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं प्रभावपूर्ण बनाने में भी शिक्षण प्रविधियों/युक्तियों का उपयोग किया जा सकता है। शिक्षण प्रविधियों/युक्तियों से शिक्षण में सजीवता लाई जा सकती है। इन शिक्षण प्रविधियों/युक्तियों के माध्यम से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की विषय-वस्तु एक विशिष्ट ढंग से प्रस्तुत की जा सकती है, जिससे छात्र विषय-वस्तु को सरलता से समझ लेते हैं। छात्रों को विषय-वस्तु रटनी नहीं पड़ती है। शिक्षा शब्दकोष के अनुसार, “शिक्षण प्रविधि/युक्ति शैक्षणिक क्रियाओं के संचालन का विशिष्ट ढंग हैं।

शिक्षण की गत्यात्मक, प्रेरणादायक तथा रचनात्मक मीमांसा यदि हम करें, तो निश्चय ही इस क्रियात्मक विधि के द्वारा हम विद्यार्थियों को अधिगम के हेतु प्रेरित कर सकते हैं। शिक्षण की विभिन्न क्रियाओं, विधियों, प्रविधियों, सहायक रीतियों आदि का सम्बन्ध एक गतिशील एवं सुनियोजित बहुमुखी प्रक्रिया से है, जिसका अन्तिम उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन एवं कुशल समायोजन है। विद्यार्थियों में वांछित व्यवहार कुशलता हेतु शिक्षक को अपने शिक्षण में विभिन्न नीतियों एवं युक्तियों को प्रयोग में लाना पड़ता है, जिस प्रकार एक कुशल वकील, न्यायालय में विभिन्न तथ्यों, तर्कों एवं युक्तियों को प्रस्तुत कर अपने पक्ष में, न्याय प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है और विशिष्ट नीतियाँ प्रयोग में लाकर सफल हो जाता है, ठीक इसी प्रकार सफल शिक्षण के हेतु शिक्षक भी विभिन्न शिक्षण नीतियों एवं युक्तियों का प्रयोग करता है।

शैक्षिक तकनीकी परम्परागत शिक्षण कला के विचार को वैज्ञानिक आधार प्रदान करने वाली तकनीकी है, जो शैक्षिक प्रभावों को विभिन्न नीतियों, विधियों एवं युक्तियों के माध्यम से नियन्त्रित करती है, विकसित करती है और शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाती है। इस प्रकार से यह शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की ओर सदैव अग्रसर रहती है।

शिक्षण नीतियाँ : अर्थ, परिभाषाएँ व विशेषताएँ (Teaching Strategies : Meaning, Definitions and Characteristics)

शिक्षण नीतियाँ दो शब्दों से मिलकर बना है – शिक्षण + नीतियाँ (Teaching and Strategies)। शिक्षण एक अन्तःक्रियात्मक प्रक्रिया है जो कक्षागत परिस्थितियों में वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए छात्र और शिक्षकों द्वारा सम्पन्न की जाती है। नीतियाँ योजना, नीति, चतुराई तथा कौशल की ओर संकेत करती हैं। कोलिन इंगलिश जैम शब्दकोश (The Collin English Gem Dictionary 1988) के अनुसार नीति का अर्थ युद्ध कला तथा युद्ध कौशल है। इसको अधिकतर युद्ध में सेना को उचित स्थान (मोर्चे पर खड़े करने की तथा लड़ने की कला के सन्दर्भ में प्रयोग किया जाता है। युद्ध विज्ञान की ‘नीति’ शब्द को शैक्षिक तकनीकी में लिया गया है। यहाँ पर नीतियों से अभिप्राय ऐसी कौशलपूर्ण व्यवस्था से है, जिन्हें कक्षागत परिस्थितियों में शिक्षक अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए तथा छात्रों के व्यवहारों में वांछित परिवर्तन लाने के लिए करता है।

शिक्षण नीतियों की परिभाषाएँ
(Definitions of Teaching Strategies)

शिक्षण नीतियों की विभिन्न विद्वानों ने निम्न प्रकार से परिभाषाएँ दी हैं-

(1) डेविस (Davies) – “नीतियाँ शिक्षण की व्यापक विधियाँ हैं।”  “Strategies are broad methods of teaching.”

(2) स्टोन्स तथा मॉरिस (Stones and Morris) – “शिक्षण नीति, पाठ की एक सामान्यीकृत योजना है, जिसमें वांछित व्यवहार परिवर्तन की संरचना अनुदेशन के उद्देश्यों के रूप में सम्मिलित होती है साथ ही इसमें युक्तियों की योजनाएँ भी तैयार की जाती हैं।”

“Teaching strategy is a generalized plan for a lesson which includes desired learner behaviour in terms of goals, instructions and an outline of planned tactics necessary to implement strategy.”

(3) स्ट्रेसर (Strasser) – “शिक्षण नीतियाँ वे योजनाएँ होती हैं जिसमें शिक्षण के उद्देश्यों, छात्रों के व्यवहार परिवर्तन, पाठ्य-वस्तु, कार्य-विश्लेषण, अधिगम अनुभव तथा छात्रों की पृष्ठभूमि आदि को विशेष महत्व दिया जाता है।”

“Teaching strategy is that plan which lays special emphasis on teaching objectives, behavioural changes, content, task analysis, learning experiences and background factors of students.”

शिक्षण प्रारम्भ करने से पूर्व ही शिक्षक कक्षा के लिए प्रयोग हेतु उपयुक्त शिक्षण नीतियों का चयन कर लेता है। शिक्षण नीतियों में अनेक कारक होते हैं जो सम्मिलित रूप से शिक्षण प्रक्रिया को सशक्त बनाने का प्रयास करते हैं और शिक्षण की प्रभावशीलता बढ़ाते हैं।

शिक्षण नीतियों की विशेषताएँ
(Characteristics of Teaching Strategies)

  • शिक्षण नीतियों का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है।
  • शिक्षण नीतियाँ किसी शिक्षण प्रतिमान की ओर संकेत करती हैं।
  • शिक्षण की नीतियों में विभिन्न शिक्षण विधियाँ, रीतियाँ एवं युक्तियाँ सम्मिलित हैं।
  • शिक्षण नीतियाँ, शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती हैं।
  • शिक्षण नीतियाँ और शैक्षिक उद्देश्यों में सीधा सम्बन्ध है।
  • शिक्षण नीतियों का मुख्य कार्य व्यवहार परिवर्तन है।
  • ये कार्य विश्लेषण और उसकी संरचना में महत्वपूर्ण हैं।
  • शिक्षण नीतियाँ पूर्व शिक्षण नियोजन की कला है।
  • ये शिक्षक की कार्य निष्ठा बढ़ाती है और उसकी शिक्षण कुशलता में वृद्धि करती हैं।
  • ये शिक्षण प्रक्रिया को उन्नत तथा वैज्ञानिक आधार प्रदान करती हैं।
  • इनके माध्यम से बुद्धि, अध्यवसाय, स्पष्ट चिन्तन तथा कार्यशालाओं के प्रत्यय का विकास होता है।
  • शिक्षण नीतियों में शिक्षा दर्शन, अधिगम सिद्धान्त, पृष्ठपोषण आदि तत्व निहित रहते हैं।
  • ये शिक्षण प्रक्रिया को क्रमबद्ध तथा सार्थक बनाती हैं।
  • शिक्षण नीतियाँ, शिक्षक के नियन्त्रण में रहती हैं और वह आवश्यकतानुसार उनमें परिवर्तन कर लेता है।
  • शिक्षण नीतियों का चयन शैक्षिक उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है जबकि शिक्षण विधियों का चयन पाठ्य वस्तु की प्रकृति के आधार पर किया जाता है।

शिक्षण विधियाँ
(Teaching Methods)

शिक्षण नीतियाँ तथा शिक्षण विधियाँ, दोनों के अपने विशिष्ट क्षेत्र तथा अर्थ हैं। भ्रमवश बहुत से लोग इन्हें एक-दूसरे के पर्याय शब्द मान लेते हैं। शिक्षण विधि में पाठ्य-वस्तु’ महत्वपूर्ण होती है। जैसी पाठ्य-वस्तु की प्रकृति होती है उसी प्रकार की शिक्षण विधि का चयन किया जाता है। दूसरे शब्दों में पाठ्य-वस्तु के प्रस्तुतीकरण की शैली को शिक्षण विधि कहा जाता है। (It is a style of the presentation of content in classroom).

विधि अंग्रेजी भाषा के Method शब्द का पर्याय है। Method शब्द लैटिन (Latin) भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है Mode या way रास्ता या अथवा माध्यम। प्रो. एन. वैद्य (N. Vaidya) ने विधियों का सीमांकन करते हुए लिखा है-

“Here, it means methods of delivering knowledge and transmitting of scientific (teaching) skills by a teacher to his pupils and their comprehension and application by them in the process of studying and learning.”

एक शिक्षक के लिए आवश्यक है कि उसे शिक्षण विधियों का ज्ञान हो ताकि वह आवश्यकता और परिस्थितियों के अनुसार किसी भी उपर्युक्त विधि का प्रयोग कर अपने शिक्षण कार्य को सुचारु रूप से चला सके। शिक्षण विधियाँ शिक्षक का मार्ग-दर्शन करती हैं कि वह अपने छात्रों को किस प्रकार से शिक्षा प्रदान करे। यह सत्य है कि जिस प्रकार से सही रास्ते के अभाव में एक व्यक्ति अपने निर्दिष्ट स्थान पर नहीं पहुँच सकता, उसी प्रकार बिना उचित विधि के उपयोग के छात्रों को सही ज्ञान नहीं दिया जा सकता। एसोसिएशन ऑफ इण्डियन यूनीवर्सिटीज के अनुसार-

“Method is simply the means of blending the component of living subject matter, enquiring attitudes and lively interests in such a way that it makes for creative teaching and does not allow the dull job of getting a degree to become an end in itself.”

निम्नांकित सारणी शिक्षण नीतियों व शिक्षण विधियों में भेद करती है—

शिक्षण नीतियाँ (Teaching Strategies) शिक्षण विधियाँ (Teaching Method)
1 शिक्षण नीतियों का चयन उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है। शिक्षण विधियों के चयन में पाठ्य वस्तु की प्रकृति पर ध्यान दिया जाता है।
2 शिक्षण नीतियों में व्यवहारों और सम्बन्धों का स्थान महत्वपूर्ण है। इनमें पाठ्यवस्तु तथा उसका प्रस्तुतीकरण महत्वपूर्ण माना जाता है।
3 शिक्षण नीतियाँ शिक्षण को विज्ञान के रूप में मानती हैं। शिक्षण विधियाँ शिक्षण को कला के रूप में मानती हैं।
4 शिक्षण नीतियों का मुख्य कार्य उपयुक्त सीखने की परिस्थितियाँ उत्पन्न करना है। शिक्षण विधियों का मुख्य कार्य पाठ के प्रस्तुतीकरण को अधिक प्रभावशाली  बनाना होता है।
5 शिक्षण नीतियों के मूल्यांकन का मापदण्ड उद्देश्यों की प्राप्ति होता है। शिक्षण विधियों के मूल्यांकन का मापदण्ड पाठ्य वस्तु पर अधिकार प्राप्त करना होता है (Command on the Content)।
6 इसमें सूक्ष्म उपागम (Micro Teaching) का अनुसरण किया जाता है। इसमें स्थूल उपागम (Macro Teaching) को अपनाया जाता है।
7 यह Modern human organization theory का उपहार है। यह Classical human organization theory की देन है।

डॉ. शर्मा ने इनमें अन्तर स्पष्ट करते हुये लिखा है, “कुछ शिक्षण विधियों को शिक्षण नीतियों (Teaching Strategies) की भी संज्ञा दी जाती है। परन्तु जब इन्हें शिक्षण नीति कहते हैं तब उनका लक्ष्य बदल जाता है। व्याख्यान को शिक्षण विधि मानते हैं परन्तु जब व्याख्यान को किसी विशिष्ट उद्देश्य की प्राप्ति के लिये प्रयोग करते हैं तब उसे शिक्षण नीति कहते हैं। शिक्षण विधियों में प्रविधियों (Techniques) की सहायता ली जाती है। शिक्षण-नीतियों में शिक्षण युक्तियों (Teaching Tactics) की सहायता लेते हैं। शिक्षण प्रविधियों का चयन पाठ्यवस्तु की प्रकृति के आधार पर करते हैं तथा शिक्षण युक्तियों का चयन अधिगम के स्वरूपों के आधार पर किया जाता है, जिससे अधिगम उद्देश्य की प्राप्ति होती है।

शिक्षण नीतियाँ/युक्तियाँ (Teaching Strategies/Devices)
शिक्षण नीतियाँ/युक्तियाँ (Teaching Strategies/Devices)

शिक्षण युक्तियाँ
(Teaching Devices/Tactics)

शिक्षण युक्तियाँ (Teaching Devices) से हमारा तात्पर्य ” अनुदेशन के विस्तृत पक्ष से है, जो व्यूह रचना की अपेक्षा ज्यादा समावेशित होते हैं। शिक्षण की समान युक्तियाँ, शिक्षण की विभिन्न नीतियों में प्रयोग की जा सकती हैं।”

शिक्षण युक्तियों के कुछ उदाहरण हैं—अपेक्षित अनुक्रिया के लिये उद्दीपन प्रस्तुत करना, सही अनुक्रिया का पुनर्बलन करना, अनुक्रियाओं को सीखने के क्रम में रखना, सीखी अनुक्रियाओं का अभ्यास कराना, विभेदीकरण की परिस्थितियाँ उत्पन्न करना, सामान्यीकरण, उदाहरण- नियम प्रत्यय आदि का प्रयोग करना।

शिक्षण युक्तियाँ, वे सारी प्रविधियाँ हैं जिनका प्रयोग शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावपूर्ण, रुचिकर तथा स्पष्ट बनाने के लिए करता है। ये युक्तियाँ शाब्दिक (Verbal) तथा अशाब्दिक (Non-Verbal) दोनों तरह की होती हैं। इनका उपयोग शिक्षक कक्षा की परिस्थितियों तथा आवश्यकतानुसार करता है। शिक्षक युक्तियाँ छात्रों और शिक्षकों के मध्य अन्तक्रिया को प्रभावशाली बनाती हैं। स्टोन्स तथा मौरिस (Stones and Morris) अनुसार “शिक्षण युक्तियाँ उद्देश्यों से सम्बन्धित होती हैं और शिक्षक के व्यवहार को प्रभावित के करती हैं। शिक्षक किसी परिस्थिति विशेष में कैसा व्यवहार करता है, कैसे वह कक्षा में छात्रों के साथ विभिन्न भूमिकाओं में कार्य को पूरा करता है और कैसे छात्र, शिक्षक तथा पाठ्य-वस्तु में अन्तःप्रक्रिया होती है आदि बातें इसमें आती है।”

“Teaching devices is goal linked influenced or influencing behaviour of the teacher. It includes the way he behaves in the instructional situations and how he fulfils various instructional roles with the students of the class and how the teacher, the students and the subject matter interacts.”

शिक्षण-उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शिक्षण युक्तियाँ एक सबल माध्यम है। ये सदैव उद्देश्यों से सम्बन्धित रहने वाली सार्थक प्रविधियाँ हैं। एक शिक्षक के लिए आवश्यक है कि वह शिक्षण युक्तियों के चयन में बहुत अधिक जागरूक रहे। अग्रांकित सारणी शिक्षण युक्तियों तथा शिक्षण नीतियों का अध्ययन करने में सहायता देती है।

शिक्षण नीतियाँ (Teaching Strategies) शिक्षण युक्तियाँ (Teaching Devices)
1 ये शिक्षण की विस्तृत अध्यापन विधि है। शिक्षण युक्तियाँ, शिक्षण नीति के अधीन हैं।
2 ये शिक्षण विधियों के अनुरूप हो सकती हैं। ये शिक्षण प्रविधियों के अनुरूप हैं।
3 एक शिक्षण नीति में कई युक्तियों का प्रयोग किया जाता है। एक या कई युक्तियाँ सम्मिलित रूप से शिक्षण नीति को प्रभावशाली बनाती हैं।
4 ये सामान्य स्वरूप की होती हैं। इनका अपना विशिष्ट स्वरूप होता है।
5 ये शिक्षण व्यवस्था को उन्नत बनाती हैं। ये नवीन ज्ञान को स्थायी धारणा देती हैं।

डेविस (Davis) महोदय का यह कथन सत्य है कि शिक्षण की युक्तियाँ, विधियाँ आदि ‘शिक्षण नीतियों के विभिन्न अंग हैं। शिक्षण नीति, आधारशिला है। समस्त शिक्षा नियोजन के लिये विभिन्न शिक्षण नीतियों को प्रयोग में लाना होता है सम्बन्धित युक्तियों और विधियों का चयन करना होता है। सच है “पूर्व नियोजन ही सफल शिक्षण की कुंजी है और पूर्व नियोजन में शिक्षण नीति, रीति, विधि व युक्ति सभी की भूमिका रहती है।”

शिक्षण – नीतियों का वर्गीकरण

(Classification of Teaching Strategies)

कक्षा के वातावरण, कक्षा की परिस्थितियाँ तथा शिक्षक के दृष्टिकोणों के आधार पर शिक्षण नीतियों को प्रमुख रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है—

  • जनतान्त्रिक शिक्षण नीतियाँ (Democratic Strategies),
  • प्रभुत्ववादी शिक्षण नीतियाँ (Autocratic Strategies)

जनतान्त्रिक शिक्षण विधियाँ
(Democratic Strategies)

जनतान्त्रिक शिक्षण नीतियाँ जनतन्त्र के मूल्यों पर आधारित रहती हैं। ये नीतियाँ बाल मनोविज्ञान का प्रयोग कर शिक्षण को बाल-केन्द्रित (Child-Centred) बनाती हैं। इन नीतियों में प्रमुख स्थान बालकों या छात्रों को दिया जाता है। शिक्षक का स्थान गौण रहता है। इसमें शिक्षक छात्रों की आयु, परिपक्वता, मानसिक योग्यताओं, रुचि, सामर्थ्य तथा क्षमताओं आदि के आधार पर अपने शिक्षण कार्य की व्यवस्था करते हैं। इसमें छात्र अपने विचारों को व्यक्त करने में स्वतन्त्र होते हैं। इस प्रकार की जनतान्त्रिक शिक्षण नीतियाँ छात्रों में स्वतन्त्र रूप से चिन्तन करने तथा उनकी कल्पना, तर्क, निर्माण तथा सृजन आदि क्षमताओं का विकास करने में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। छात्र स्मृति स्तर से प्रारम्भ कर अपने ज्ञान को चिन्तन स्तर तक ले जाकर समस्याओं के समाधान में सफलता प्राप्त करते हैं।

यह नीति छात्रों में सामाजिक विकास करती है और उन्हें ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा गत्यात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता देती है। इस प्रकार की नीतियों में प्रमुख नीतियाँ हैं—वाद-विवाद, अन्वेषण, समीक्षा, योजना पद्धति, गृहकार्य, मस्तिष्क उद्वेलन, स्वतन्त्र अध्ययन, अभिनय, संवेदनशील प्रशिक्षण आदि।

प्रभुत्ववादी शिक्षण नीतियाँ
(Autocratic Strategies)

प्रभुत्ववादी शिक्षण नीतियाँ प्रभुत्ववाद या निरंकुशवाद के मूल्यों पर आधारित रहती हैं। इन नीतियों में शिक्षक अधिक सक्रिय रहता है और छात्र निष्क्रिय बैठे रहते हैं। ये नीतियाँ शिक्षक प्रधान (Teacher Centred) होती हैं। इसमें छात्र शिक्षक की प्रत्येक बात, विचार तथा दर्शन बिना किसी तर्क के स्वीकार कर लेते हैं। शिक्षक स्वयं पाठ्य-वस्तु का निर्धारण अपने आदर्शों तथा रुचियों के आधार पर करता है। छात्रों की आवश्यकताओं और उनकी मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखता। यह शिक्षण स्मृति स्तर पर ही होता है और इनके माध्यम से केवल ज्ञानात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति सरलता से होती है। इन नीतियों के प्रयोग से कक्षा का वातावरण पूर्णतः औपचारिक रूप ग्रहण कर लेता है। प्रभुत्ववादी शिक्षण नीतियों में प्रमुख नीतियाँ हैं- व्याख्यान, पाठ प्रदर्शन, ट्यूटोरियल, अभिक्रमित अनुदेशन आदि।

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