शिक्षण का अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार एवं उद्देश्य

शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके तहत कोई दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को कुछ बातों का ज्ञान प्रदान करते हैं। शिक्षण (Teaching) एक व्यापक तात्पर्य के रूप में उस प्रक्रिया से संबंधित है जिसमें व्यक्ति अपने आस-पास के वातावरण के घटकों जैसे परिवार, पड़ोसी, मित्र, शिक्षक आदि से जन्म से मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता रहता है। शिक्षण एक संक्षिप्त तात्पर्य के रूप में वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शिक्षक किसी शिक्षा संस्थान में शिक्षार्थियों को पूर्व निर्धारित ज्ञान प्रदान करता है।

वर्ल्ड बुक एनसाइक्लोपीडिया (World Book Encyclopaedia) के अनुसार, “शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को ज्ञान, कौशल तथा अभिरुचियों को सीखने या प्राप्त करने में सहायता करता है।”

एडमंड एमीडोन (Edmond Amidon) के अनुसार, “शिक्षण एक अन्त प्रक्रिया है, जिसमें मुख्यतः कक्षा वार्ता होती है जो शिक्षक एवं छात्रों के मध्य कुछ परिभाषित की जा सकने वाली क्रियाओं के माध्यम से घटित होती है।”

गेज (Gage) के अनुसार, “शिक्षण एक प्रकार का पारस्परिक प्रभाव है जिसका उद्देश्य है दूसरे व्यक्तियों के व्यवहारों में अपेक्षित परिवर्तन लाना।”

रियान्स (Ryans) के अनुसार, “दूसरों को सीखने के लिए दिशा-निर्देश देने एवं अन्य प्रकार से उन्हें निर्देशित करने की प्रक्रिया को शिक्षण कहते हैं।”

मारीसन (Morrison) के अनुसार, “शिक्षण एक परिपक्व तथा एक कम परिपक्व व्यक्ति के मध्य आत्मीय सम्बन्ध है जहाँ कम परिपक्व को शिक्षा की ओर अग्रसित किया जाता है।”
अतः शिक्षण को कुछ शब्दों इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है-
(1) शिक्षार्थी को क्रियाशील रहने का अवसर देना।
(ii) शिक्षार्थी के संवेगों को प्रशिक्षित करना।
(iii) शिक्षार्थी को अपने वातावरण के अनुकूल बनने में सहायता करना।
(iv) उत्प्रेरणा प्राप्त करना।
(v) सम्बन्ध स्थापित करना।

शिक्षण का अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार एवं उद्देश्य
शिक्षण का अर्थ, विशेषताएँ, प्रकार एवं उद्देश्य

शिक्षण के प्रकार (Types of Teaching)

शिक्षण का वर्गीकरण निम्नलिखित है-

1. शिक्षण उद्देश्यों के आधार पर (On the Basis of Teaching, Objectives)

(i) ज्ञानात्मक (Cognitive)
(ii) भावात्मक (Affective)
(iii) मनोगत्यात्मक (Psycho-Motive)

2. शिक्षण के स्तरों के आधार पर (On the Basis of Teaching Levels)

(i) स्मृत्ति स्तर (Memory level)
(ii) अवबोध स्तर (Understanding Level)
(iii) चिन्तन स्तर (Reflective Level)

3. शासन प्रणाली के आधार पर (On the  Basis of Political System)

(i) निरंकुश शिक्षण (Autocratic)
(ii) प्रजातांत्रिक शिक्षण (Democratic)
(ii) हस्तक्षेप रहित शिक्षण (Laissez faire)

4. शिक्षण के स्वरूप के आधार पर (On the Basis of Nature of Teaching)

(i) वर्णनात्मक (Descriptive)
(ii) निदानात्मक (Diagnostic)
(iii) उपचारात्मक (Remedial)

5. शैक्षिक क्रियाओं के आधार पर (On the Basis of Educational Processes)

(i) प्रस्तुतीकरण (Presentation)
(ii) प्रदर्शन (Demonstration)
(iii) क्रिया (Action)

6. शैक्षिक प्रबंधन व्यवस्था के आधार पर (On the Basis of Educational Management)

(i) औपचारिक (Formal)
(ii) अनौपचारिक (Informal)
(iii) निरौपचारिक (Non-formal)

शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Teaching)

सभी कार्यों के लिए हमें कोई न कोई उद्देश्य सामने रखना पड़ता है। अतएव शिक्षण में भी उचित उद्देश्य को अपनाया जाना अत्यावश्यक है। शिक्षा के उद्देश्य के बिना इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती है।

इसके विभिन्न उद्देश्य निम्नवत् हैं-

(i) जीविकोपार्जन का उद्देश्य
(ii) बौद्धिक विकास का उद्देश्य
(iii) शारीरिक विकास का उद्देश्य
(iv) चरित्र निर्माण का उद्देश्य
(v) सामाजिकता का उद्देश्य
(vi) आत्म बोध का उद्देश्य
(vii) सांस्कृतिक उद्देश्य
(viii) जीवन को पूर्णता प्रदान करने का उद्देश्य
(ix) परिस्थिति से अनुकूलन का उद्देश्य
(x) ईश्वर प्राप्ति का उद्देश्य, आदि

शिक्षण की प्रकृति (Nature of Teaching)

1. एक अन्त प्रक्रिया
2. सामाजिक प्रक्रिया
3. व्यावसायिक प्रक्रिया
4. सोद्देश्य प्रक्रिया
5. विकासात्मक प्रक्रिया
6. सम्प्रेषण प्रक्रिया
7. आमने-सामने होने वाली प्रक्रिया
8. उपचारात्मक विधि
9. तार्किक क्रिया
10. मापन योग्य क्रिया
11. सुधारात्मक प्रक्रिया
12. सतत् प्रक्रिया
13. त्रिधुवीय प्रक्रिया
14. निर्देशन प्रक्रिया
15. औपचारिक प्रक्रिया
16. अनौपचारिक प्रक्रिया

शिक्षण की विशेषताएँ (Characteristics of Teaching)

1. अपेक्षित सूचनाओं का आदान-प्रदान
2. प्रभावी नियोजन
3. छात्र क्रियाशीलता की उपस्थिति
4. प्रजातांत्रिक आदर्शों के अनुकूल
5. सहानुभूति एवं दया पर आधारित
6. निर्देशात्मकता (Directional)
7. छात्र-शिक्षक सहयोग
8. छात्रों के पूर्व ज्ञान का उपयोग
9. प्रगतिशील शिक्षण
10. उत्तम शिक्षण विधियों पर आधारित
11. उपचारात्मक
12. निदानात्मक
13. संवेगात्मक स्थिरता की उपस्थिति
14. छात्र योग्यताओं को संवर्द्धन
15. शिक्षक की उपस्थिति-दार्शनिक एवं मित्र के रूप में
16. प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष कक्षा व्यवहार
17. छात्र-शिक्षक में माधुर्यपूर्ण सम्बन्ध

शिक्षण के सिद्धान्त (Principles of Teaching)

छात्रों को शिक्षण प्रदान करने के लिए शिक्षक को इसके सामान्य सिद्धान्तों से परिचित होना आवश्यक है।
ये सिद्धान्त हैं-
(i) कार्य द्वारा सीखने का सिद्धान्त
(ii) रुचि का सिद्धान्त
(iii) निश्चित उद्देश्य का सिद्धान्त
(iv) चयन करने का सिद्धान्त
(v) वैयक्तिक भिन्नता का सिद्धान्त

शिक्षण के चरण (Steps of Teaching)

शिक्षण एक चरणबद्ध प्रक्रिया है। जिसके प्रमुख चरण है-
(i) योजना बनाना
(ii) छात्रों के विषय सम्बन्धित पूर्व ज्ञान की जानकारी प्राप्त करना
(ii) अध्यापन सामग्री को सुसंगठित करना
(iv) अध्ययन सामग्री को कक्षा में प्रस्तुत करना
(v) विश्लेषण एवं संलयन करना
(vi) मूल्यांकन करना
(vii) पुनरावृत्ति

शिक्षण सूत्र (Teaching Maxims)

शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षण कार्य में कलात्मकता बनाए रखने के लिए कुछ सूत्रों का निर्माण किया है, जिससे छात्र इसका पूर्ण लाभ उठा सके जो इस प्रकार है-

(i) सरल से जटिल की ओर
(ii) ज्ञात से अज्ञात की ओर
(iii) पूर्ण से अंश की ओर
(iv) अनिश्चित से निश्चित की ओर
(v) विश्लेषण से संश्लेषण की ओर
(vi) प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष की ओर 

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